बुधवार, 24 नवंबर 2021

मुझे हर बार तुम्हें

उस उम्र की नजाकत को 
बार  बार देखना है...
मुझे हर बार तुम्हें
पहली बार देखना है।

जरा सा इश्क, जरा सी आस
जरा सी शर्म,जरा सी प्यास,
जरा सा ख्वाबों में तुमको
बेकरार देखना है...
मुझे हर बार तुम्हें
पहली बार देखना है।

वो चुप चाप आंखों से
जो बातें बोल जाते थे,
ना जाने गीत कितने 
मेरी कलम में घोल जाते थे
वही जज़्बात आंखों में
वही खुमार देखना है
मुझे हर बार तुम्हें 
पहली बार देखना है।

तुम्हें क्या याद है
जब नई किताबें घर पे लाते थे
तुम्हारा नाम उस पे लिख के 
अपना भूल जाते थे...
उसी दीवानगी में खुद को
शुमार देखना है...
मुझे हर बार तुम्हें
पहली बार देखना है।

ANUPRIYA