बुधवार, 3 नवंबर 2010

jindgi ki recipe

मैंने इन पंक्तियों को दो साल पहले एक फॅमिली गेट टू गेदर के दौरान अपने दोस्तों के request  पर खाना खाते हुए ५ मिनट के अन्दर रची थी...उन्हें तो पसंद आई...अब जरा आप भी चख कर बताइए, कैसी लगी आपको...जिन्दगी की अनोखी रेसिपी.




एक किलो सुरमई सुबह में
एक चम्मच मुस्कराहट,
एक रत्ती जिन्दादिली और
एक चुटकी ली शरारत...


विश्वास की हांड़ी में भर के
प्यार के ढक्कन से ढँक दी,
सोच की कलछी से हिला कर
जोश के चूल्हे पे रख दी ..


कुछ देर जब पक गई...
डाली इसमें अपनी ताजगी...
दोस्तों.!जरा चख कर बताना
मेरी अनोखी जिन्दगी...

अनुप्रिया...

9 टिप्‍पणियां:

  1. दोस्तों जरा चख कर बताना मेरी जिन्दगी अनोखी .........अनु जी मुझे आपकी सोच भी अनोखी लगती है वाह 5 मीनटमें कविता की रचना कर दी वह भी खाना बनाने की विधि के साथ उसमे जीवन की उमंगो को भी जोड़ दिया !लाजवाब .............................

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  2. Amar jeet jee, aapka dhanyawad !& wish u and ur family very happy diwali...

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  3. वाह वाह! ये तो बहुत ही भीनी भीनी खुशबू दे रही है।

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  4. vaah ji vaah , anokhi hai ye recipe...digest ho kar ye ragon men daud rahi hai ...

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