आज मैं उदास हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
सुस्त सी हैं धड़कने
रुकी रुकी सी साँस हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
आज इस मक़ाम पर
आदमी की बिसात क्या
खुदा से भी नाराज़ हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
कल की बात और थी
मेरे वजूद से थी रौशनी
अब बुझा हुआ चिराग हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
वक़्त की आंधी में
आँख से जो गिर गया
टुटा हुआ वो ख्वाब हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
खुशबु थी मैं, नशा थी मैं,
नजाकत थी मैं ,अदा थी मैं,
अब ढला हुआ शबाब हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
अनुप्रिया ...
अच्छी भावनायें..आपके अगले पोस्ट का इंतजार
जवाब देंहटाएंवक़्त की आंधी में
जवाब देंहटाएंआँख से जो गिर गया
टुटा हुआ वो ख्वाब हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
खुशबु थी मैं, नशा थी मैं,
नजाकत थी मैं ,अदा थी मैं,
अब ढला हुआ शबाब हूँ
और तुमसे क्या कहूँ।
very beautiful... awesome...