कुछ अनसुनी सी दास्ताँ
सुना रही है आज हवा,
दिल का शायद हाल तुम्हारे
बता रही है आज हवा।
आई हो जैसे छू कर तुमको
तुम्हारे शहर से अभी अभी,
इस तरह तुम्हारी ख़ुशबू से
नहा रही है आज हवा।
कभी उड़ा देती हैं जुल्फें,
कभी हिलाएं आँचल को,
तुम सी सारी अदाएं मुझको
दिखा रही है आज हवा।
दूरियां तो हैं हमारे
जिस्म की मजबूरियां ,
देखो कैसे दो दिलों को
मिला रही है आज हवा।
कह रही है एक दिन
सिमट जायेंगे ये भी फासले,
मुझको, मेरी तन्हाई को
समझा रही है आज हवा।
दूरियां तो हैं हमारे
जवाब देंहटाएंजिस्म की मजबूरियां ,
देखो कैसे दो दिलों को
मिला रही है आज हवा।
प्यार करने वाले चांद,हवा बारिश-बादल से हमेशा ही अपना हाल-ए-दिल कहते आए हैं....बहुत खूब
http://veenakesur.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर शब्दों....बेहतरीन भाव....खूबसूरत कविता...
जवाब देंहटाएंthankyou very much...
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