क्यों मैं जाऊं काबा काशी ,
क्यों जाऊं गुरुद्वारा,
मेरा तीर्थ वहीँ हो जाए
जहाँ हो साथ तुम्हारा.
साथ तुम्हारा हो तो हर सुख,
वरना सब बेकार ,
सात जन्म के पुण्य के फल में
मिला तुम्हारा प्यार.
मिला तुम्हारा प्यार तो दुनिया
लगती कितनी सुन्दर,
सात आसमान दिल में तुम्हारे
आँखों में सात समंदर .
सात रंग से रंग दिया तुमने
जीवन कोरा कोरा,
हर रात चांदनी हो गई मेरी,
दिन हो गया सुनहरा.
सात सुरों में ढली हुई सी
लगे तुम्हारी बातें,
क्या - क्या गिनवाऊं मैं
तुमने क्या - क्या दी सौगातें.
अनुप्रिया...
वाह ! मोहब्बत मे पगी एक बहुत ही खूबसूरत रचना।
जवाब देंहटाएं