शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

ek maasum khwaab...



ये पंगतियाँ  मैंने तब लिखी थी जब मई १८ साल की  थी. नए नए सपने, एक अलग ही दुनिया थी वो... अचानक आज  पुरानी डायरी मिल गई. लगा जैसे खुद से बरसों बाद मिल रही हूँ. कुछ हँसते हुए पल मिले ,तो कुछ शरारत भरे अंदाज. सोचा ये भी बाँट लूँ आपसे.  इससे पहले भी इस डायरी से कुछ खुबसूरत  हुए लम्हे बाटें है आपसे जिसे आपने पसंद भी किया. अब तो जीवन पर हादसों की ऐसी परत चढ़ गई है कि शब्द मुस्कुराना ही भूल गए हैं. थोड़ी ख़ुशी अतीत से ही चुरा लूँ तो क्या बुरा है.

मेरी जिन्दगी का एक नया अध्याय ,
एक नई तन्हाई ,एक नया इन्तजार,
एक नए दर्द का अहसास,
एक अनजानी सी प्यास.

हर पल राहों पे अटकी आँखें ,
थमी-थमी आहिस्ता चलती सांसें,

एक अनसुना स्वर,
एक अनदेखी नज़र.

अब स्मरण नहीं आता कोई पहचाना चेहरा,
हर पल है आँखों के सामने
वही नया अनजाना चेहरा.

सोचती हूँ, क्या उसे भी इस दर्द का अहसास होगा?
मैं तो उसके यादों के समंदर में खोई रहती हूँ,
क्या मेरी यादों का  एक कतरा भी उसके पास होगा ?

फूलों के बीच से छुपता - निकलता वो
हर शाम चुपके से आ कर,
अपने खामोश लबों से
मेरे कानों में कुछ कह जाता है,
ऐसा लगता है , हर रास्ते, हर नुक्कड़ से
वो मुझे लगातार, अपलक निहारा करता है.

मैंने भी कई बार (सपनों में ),
उसकी मुस्कान की कोमलता को
अपने होठों पर सवारा है,
उसके झील से शांत व्यक्तित्व को
अपने ह्रदय की गहराई में उतारा है.

मैं नहीं जानती
इस अध्याय का क्या अंत  होगा ?
मेरी कल्पना  में  बसा ये चेहरा 
क्या कभी जीवंत  जीवंत होगा ?

मेरे नादान कदम 
एक अनजाने रस्ते  पर निकल पड़े हैं
सिर्फ तुम्हारे भरोसे,
मेरे सपनों में आने वाले  ऐ  मेरे हमसफ़र !
जीवन की अनजान  राहों पर
क्या तुम  मेरा साथ दोगे ? 

( इत्फाक से जीवन में कभी-  कभी सपने पूरे भी हो जाते है. इस कविता को लिखने के लगभग २ साल बाद मेरी शादी हो गई...मेरे सपनों के राज कुमार के साथ... : ) : ) : )

 अनुप्रिया...

9 टिप्‍पणियां:

  1. इससे बढकर और क्या होगा………………बहुत सुन्दर भाव्।

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  2. रूमानी अहसास की सुन्दर सी क्यूट सी कविता ,
    मगर इसे शादी से जोड़ना एंटी क्लाईमैक्स हो गया :(
    :)

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  3. हाँ हैप्पी इन्डिंग तो हुई ही...:)
    वैसे आप इतनी अच्छी कविता १८ साल की उम्र में लिख लेती थी?..हमने भी उसी समय के आसपास शुरू किया था लिखना...उस समय भी नहीं लिख पाते थे अच्छा, और आज भी नहीं :)

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  4. प्यार का अहसास और चाहत की आस के बीच मिलन की happy ending सफल रचना है !

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  5. abhi jee likhti to mai tab se hu jab se mujhe mere hone ka ahsas hai...ab achcha ya bura wo pata nahi...bas ahsaas ko jataane ka isse achcha tarika nahi pata mujhe...

    hausla badhane ke liye aapk shukriya...

    जवाब देंहटाएं
  6. Itifakan aapka blog
    padha... Bhut acha likhti hain aap..bhavon ki bhut sunder abhivyakti hai... U r lucky to have one in ur life whom u have loved...god bless n congrats for ur writings

    जवाब देंहटाएं
  7. Itifakan aapka blog
    padha... Bhut acha likhti hain aap..bhavon ki bhut sunder abhivyakti hai... U r lucky to have one in ur life whom u have loved...god bless n congrats for ur writings

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