बहका लो अपनी बाँहों में
कुछ ख्वाब सवार लेने दो,
एक जिन्दगी की बात है
गुजार लेने दो.
छू जो लिया तुमने तो
पूरी हो गई हूँ मैं,
इस अहसास को अब
रूह तक उतार लेने दो.
तुम्हारे अक्स में देखी है
मैंने खुदा की सूरत,
जी भर के मुझे चेहरा ये
निहार लेने दो.
अभी आये , अभी बैठे
अभी जाने की बात कर दी,
अरे ! सुकून से साँसे तो
दो-चार लेने दो.
फ़रिश्ते भी जिसे पाने को
आपना दीनो-इमां भूलें,
मेरे महबूब, मुझको तुमसे
वो प्यार लेने दो.
तुम्हारे नाम में जैसे बसी हो
सातों सुरों की सरगम,
हर शय को नाम अपना
पुकार लेने दो.
आखें तुम्हारी लगती हैं
मुक्कमल किताब जैसी,
गजलों को इनसे अपने
अशआर लेने दो.
अनुप्रिया...
(अशआर:-
The form ghazal is a collection of mulitiple ashaar - each of which should convey a complete thought without any reference to other shayari of the same ghazal. In fact, though belonging to the same ghazal, the different ashaar therein can have completely different meaning and tone relative to one another.)
9 टिप्पणियां:
माशाल्लाह...क्या खूब लिखा है अनुप्रिया जी...
छू जो लिया तुमने तो
पूरी हो गई हूँ मैं,
इस अहसास को अब
रूह तक उतार लेने दो.
उफ़ क़त्ल कर दिया...
बहका लो अपनी बॉंहो में
कुछ ख्वाब सवार लेने दो
एक जिन्दगी की बात है
गुजार लेने दो।
बहुत खुब। सुन्दर रचना।
आँखे तुम्हारी लगती है
मुकम्मल किताब जैसी
गजलो को इनसे
अपने अशआर लेने दो
वाह क्या खूब लिखा आपने .........
। अरे वाह! ये तो बहुत ही रोमांटिक रचना है भावो से सराबोर …………पढकर दिल खुश हो गया बहुत दिनो बाद कुछ ऐसा पढने को मिला।
thanku veena jee,aapne thik kaha,bahot dino baad kuch dil se,aur bade pyar se likha bhi hai maine...
How romantic :) beautiful :)
आपके ब्लॉग का हेडर फोटो बहुत ज्यादा पसंद आई मुझे...बहुत ज्यादा :)
abhi jee, aapka bahot bahot dhanyawad. is photo ki background Sisaudiya garden,jaipur ki hai...ittafaq se us din waha shadi ke liye lal kapdo se decoration kiya gaya tha,jiska maine fayda utha liya.:)
दिल खुश हो गया
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