शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

तो कुछ और बात होती...

valentine's day special

 


मैं जिन्दगी हूँ तेरी, ये जानती हूँ लेकिन
कभी खुद से जो कह देते,तो कुछ और बात होती...
खामोशियों की जुबां भी समझती हूँ लेकिन
जो अल्फाज होते,तो कुछ और बात होती...



जो मोहब्बत लहू सी बसी हो रगों में,
वो मोहताज़ इजहार की तो नहीं हैं,
कभी डूब कर मेरी आँखों में लेकिन
इजहार जो कर देते तो कुछ और बात होती...


 इश्क चंचल नदी है जो रुकना ना जाने,
ये जमाने का कोई चलन भी ना माने,
तोड़ कर चंद रस्मों-रिवाजों के बंधन,
प्यार खुल के जो कर लेते तो कुछ और बात होती.


कभी तेरी नज़र से नज़रें उलझतीं,
कभी तन्हाइयों में मुलाकात होती.
रूहानी मोहब्बत है,मानती हूँ लेकिन
कभी बाहों में भर लेते तो कुछ और बात होती.


मैं जिन्दगी हूँ तेरी,ये जानती हूँ लेकिन
कभी खुद से भी कह देते तो कुछ और बात होती...





अनुप्रिया...











25 टिप्‍पणियां:

  1. मैं जिन्दगी हूँ तेरी, ये जानती हूँ लेकिन
    कभी खुद से जो कह देते,तो कुछ और बात होती...
    खामोशियों की जुबां भी समझती हूँ लेकिन
    जो अल्फाज होते,तो कुछ और बात होती...

    अनुप्रिया जी क्या खूब कहा है………सीधा दिल को छू गयी आपकी रचना……………कभी कभी दिल चाहता है कोई वो सब कहे जो हम सुनना चाहते हैं क्योकि जो असर अल्फ़ाज़ो मे होता है उसकी तो बात ही और होती है…………आपकी आज की ये रचना बहुत पसन्द आई।

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  2. वाह !
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
    कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !
    आभार!

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  3. बहुत गहरे अहसास..प्यार की बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति..मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  4. बहुत ही खुबसुरत नज्मों से भरी बेहद उम्दा रचना........आपकी लेखनी में जादू है....बस लिखती रहे।

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  5. ...मैं जिंदगी हूं तेरी... वाह! प्‍यार की बेहतरीन रचना।
    क्‍या कहूं ? कुछ सूझ नहीं रहा,
    चलो दो लाईनें कह देते हैं,
    'लिख के कागज में मेरा नाम मिटाते क्‍यों हो,
    हमसे इकरार करो, प्‍यार छुपाते क्‍यों हो ?

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  6. khoobsoorat ...kabhi kabhi ek umr gujar jaati hai us ijhaar ki tammna men ...

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  7. कुछ और बात होती ......
    क्या बात है अनु जी बहुत खूब लिखा आपने

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  8. खामोशियों की जुबां भी समझती हूँ लेकिन
    जो अल्फाज होते,तो कुछ और बात होती...

    बहुत खूब कहा आपने ...बहुत अच्छी पंक्तियाँ !

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  9. 'Isk chanchal nadi hai jo rukna na jane'
    ati sunder shabado ka chayan komal
    bhavanaon ki abhivyakti ke saath jo dil ko choote hain.

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  10. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  11. बहुत गहरे अहसास,मर्मस्पर्शी प्रस्तुति| धन्यवाद|

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  12. मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है

    "हट जाओ वेलेण्टाइन डेे आ रहा है!".

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  13. मर्म का सटीक चित्रण किया है आप ने इस कविता में,....
    कविता पढ़कर विचारों की गहरे समंदर में ह्रदय गोते लगाने लगा..
    बधाइयाँ...


    आशुतोष
    http://ashu2aug.blogspot.com/

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  14. वैलेंटाइन डे और उसपे कविता...
    मैंने शीर्षक पढ़ के समझा की कुछ ऐसा होगा
    "तुम होती इस साल मेरे साथ
    तो कुछ और बात होती"

    चलिए ये भी बहुत खूबसूरत लगा वैसे ...

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  15. बहुत सुंदर कविता, बहुत पसन्द आई...

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  16. मैं जिन्दगी हूँ तेरी, ये जानती हूँ लेकिन
    कभी खुद से जो कह देते,तो कुछ और बात होती...
    खामोशियों की जुबां भी समझती हूँ लेकिन
    जो अल्फाज होते,तो कुछ और बात होती...

    बहुत सुन्दर..कभी कभी दिल प्यार की अभिव्यक्ति शब्दों में भी चाहता है..प्रस्तुति दिल को छू गयी..

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  17. अनुप्रिया जी
    सस्नेहाभिवादन !

    मेरी ज़िंदगी में आते …तो कुछ और बात होती … तो कुछ और बात होती…
    प्रेम में आकंठ भीगी ख़ूबसूरत रचना है । जिसके भी लिए लिखी है उनको बधाई ।
    ज़्यादा क्या कहूं ? जलन होने लगी तो … … … :)

    गंभीरता से कहूं , बहुत सुंदर रचना है
    जो मोहब्बत लहू सी बसी हो रगों में
    वो मोहताज़ इजहार की तो नहीं हैं…

    आपकी लेखनी में और निखार आए… अस्तु !

    प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !
    प्रणय दिवस मंगलमय हो ! :)

    बसंत ॠतु की भी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  18. पता नहीं क्यूँ...यह कविता पढ़कर बार-बार मो.रफ़ी साहब का गाया हुआ यह गीत याद आ रहा है कि...मेरी जिन्दगी में आते तो कुछ और बात होती....तो कुछ और बात होती....और मैं उस गीत की धुन से बाहर निकल ही नहीं पा रहा कि इस कविता पर कुछ कह भी पाऊं....सॉरी भाई...

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  19. कित्ती प्यारी और सुन्दर रचना...अच्छा लगा यहाँ आकर..बधाई.

    ______________________________
    'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !

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  20. jo mujhe apne dil se mehshush krta
    jo meri hr baatsamjhta
    jo mujhe ek pl v apni nzro se ojhl na krta
    jo mujhe khi khone na deta
    ek pl v dur hone na deta
    agr....aap aese hote to kucchh or baat hoti....
    anupriya ji meri kvita bilkul aapse milti hai...kvi jrur padhiyega....

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