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बुधवार, 8 दिसंबर 2010

tumhare liye...



कुछ  बात थी  तुम्हारी  बातों में,
बिन बात भी मुस्कुरा दिए,
तुम आ गए पहलु में जब
तो सारे दीये बुझा दिए.

तुम सामने बैठे थे जब,
आँखे हुई मेरी बेअदब,
टुक-टुक निहारती रही तुम्हे,
पल भर को भी ना झुकी पलक.

और आज बस तुम्हारे  जिक्र पर
  सुर्ख सी हो गई नज़र,
यूँ लाज से बेहाल थे,
आइना देख कर   सर झुका लिए...

अनुप्रिया...

9 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

SUNDAR KAVITA .. MAN KO CHHOO GAI

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति... चित्र के साथ लखने का अंदाज आपका बहुत ही काबिले तारीफ है....

निर्मला कपिला ने कहा…

प्रेम रस पर सुन्दर भाव। शुभकामनायें।

abhi ने कहा…

आइना देख कर सर झुका लेना...

मजा आ गया जी :)

Shekhar Suman ने कहा…

सुन्दर कविता....
मैंने अपना पुराना ब्लॉग खो दिया है..
कृपया मेरे नए ब्लॉग को फोलो करें... मेरा नया बसेरा.......

Anupriya ने कहा…

aap sabhi ka bahot bahot dhanyawad...

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

आपने तो सुन्दर लिखा..बधाई.

'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

amar jeet ने कहा…

बहुत अच्छी उम्दा रचना ..........
इस बार मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया

Creative Manch ने कहा…

सुन्दर भाव--सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढ़कर
आभार


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