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शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

क्या बात है जनाब...




क्या बात है जनाब, मुस्कुरा भी रहे हैं,
दिल का दर्द आँखों में छुपा भी रहे हैं...

ये अदा तो आपकी नई - नई लगी,
कहते हैं राज की बात है, बता भी रहे हैं...

मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं...

साया हैं हम, तनहा नहीं छोड़ेंगे आपको
जानते हैं, दामन को छुड़ा भी रहे हैं...

कहते हैं लौट जाओ ! बस दर्द है यहाँ,
मायूस नज़रों से हमें बुला भी रहें हैं...

मैं कोई कागज पे
लिखा नाम नहीं हूँ,
दर्द की दो बूंद में

गल जाउंगी, बह जाउंगी...
मैं तो हथेली पे लिखी
तकदीर हूँ तेरी...
यकीन रख,
कयामत में  भी तेरे  
साथ ही जाउंगी ...


अनुप्रिया...











11 टिप्‍पणियां:

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

BAHUT UMDA GAZAL...
HAR SHER KABILE TAAREEF .

उपेन्द्र नाथ ने कहा…

मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं...

बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति. मन को छू गये प्यारे एहसास.
बुलंद हौसले का दूसरा नाम : आभा खेत्रपाल

Sunil Kumar ने कहा…

कहते हैं मै मेरी आँख में अश्क ............खुबसूरत शेर मुबारकबाद

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

अनुप्रिया जी, बहुत ही प्‍यारी कविता रची है आपने। आंखों के सामने शब्‍द चित्र सजीव से हो उठे हैं।

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ज्‍योतिष,अंकविद्या,हस्‍तरेखा,टोने-टोटके।
सांपों को दुध पिलाना पुण्‍य का काम है ?

संजय भास्‍कर ने कहा…

अनुप्रिया जी
नमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

संजय भास्‍कर ने कहा…

कभी 'आदत.. मुस्कुराने की' पर भी पधारें !!

संजय भास्‍कर ने कहा…

अनुप्रिया जी
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं

Kunwar Kusumesh ने कहा…

मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं...

दिल को छू लेने वाली

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति| मन को छू गये प्यारे एहसास|

Arti Raj... ने कहा…

मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं...हमें रुला भी रहे हैं...मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं........anupriya ji kya baat hai aap to bhut lajbab likhti hai...sidhhe dil se niklke dil me pahuchta haiiiiiiiii

Arti Raj... ने कहा…

मेरी आँखों में अश्क आपको अच्छे नहीं लगते,
खुद कहते हैं लौट जाओ ! बस दर्द है यहाँ,
मायूस नज़रों से हमें बुला भी रहें हैं......ये कह कर हमें रुला भी रहे हैं...
anu priya ji bhut sundarta se kisi ke vabnaao ko ukera hai aapne...likhte rahiye....plz humare blog pe aaie...