लिख के नाम कागज पे
गजल सा गुनगुनाऊं तुम्हें...
त्योहार हो तुम प्रेम का
आओ! मनाऊं तुम्हें...
तुम्हें माथे मैने सजा लिया
मेरी जिंदगी का श्रृंगार तुम
तुम्हें अंग मैने लगा लिया
मेरे हृदय पे रखा हार तुम।
तुम सांझ ,मेरी भोर तुम
मैं पतंग ,मेरी डोर तुम
तुम लक्ष्य और मैं रास्ता
मैं चलूं ,हो जिस ओर तुम...
बस जाओ मेरी पलकों में
सपनों का शहर दिखाऊं तुम्हें
ये प्रीत का विज्ञान है
उफ्फ !कैसे समझाऊं तुम्हें❤️❤️❤️
अनुप्रिया