LIFE
“Life is full of beauty. Notice it. Notice the bumble bee, the small child, and the smiling faces. Smell the rain, and feel the wind. Live your life to the fullest potential, and fight for your dreams.”
L
गुरुवार, 4 अगस्त 2022
पूछते हैं वो...
बुधवार, 24 नवंबर 2021
मुझे हर बार तुम्हें
शनिवार, 10 अप्रैल 2021
मैं खामोशी सुनना चाहती हूं।
mujhe har baar...
सोमवार, 15 फ़रवरी 2021
valentine's day special
लिख के नाम कागज पे
गजल सा गुनगुनाऊं तुम्हें...
त्योहार हो तुम प्रेम का
आओ! मनाऊं तुम्हें...
तुम्हें माथे मैने सजा लिया
मेरी जिंदगी का श्रृंगार तुम
तुम्हें अंग मैने लगा लिया
मेरे हृदय पे रखा हार तुम।
तुम सांझ ,मेरी भोर तुम
मैं पतंग ,मेरी डोर तुम
तुम लक्ष्य और मैं रास्ता
मैं चलूं ,हो जिस ओर तुम...
बस जाओ मेरी पलकों में
सपनों का शहर दिखाऊं तुम्हें
ये प्रीत का विज्ञान है
उफ्फ !कैसे समझाऊं तुम्हें❤️❤️❤️
अनुप्रिया
शुक्रवार, 13 सितंबर 2019
ठहर गई है जिंदगी...
ठहर गई है जिंदगी
बस चल रही हूं मैं,
सांसों की आंच में देखो
पिघल रही हूं मैं।
ख्वाब ख्वाहिशें जुस्त - जू
सब बीती बातें हैं
'आज ' है एक आग
जिसमें जल रही हूं मैं।
ना जाने कितने दास्तां
समेट आंखो में
मन की बतिया कहने को
मचल रही हूं मैं।
जो देखते हैं अब
पुराने अख़बार की तरह
क्यों भूलते हैं
उनकी ही ग़ज़ल रही हूं मैं।
हर एक शाम सुरमई
सूरज की अोट से
कहती है जिंदगी थाम लो
निकल रही हूं मैं।
ANUPRIYA
बुधवार, 3 अप्रैल 2019
कलम - स्याही
जरा सम्भाल कर कागज पे रखो
टुकड़ा स्याही का,
जज़्बात लिखना इतना भी आसान नहीं है।
तख्त पलट जाते हैं इनके इक इशारे पे,
लफ़्जों से खेलना बच्चों वाला काम नहीं है।
ताक़त है तुममें हर पल नया इतिहास लिखने की,
जो कल स्वर्णिम बनाए ऐसी कहानी आज लिखने की,
दोहराए जवानी हर सदी में जोश से भर कर
ऐसे गीत लिखने की, ऐसे साज़ लिखने की।
हुनर ये सोच कर परमात्मा ने तुमको बक्शा है
कलम मायूस ना हो जाए ,समझ लो ये भी ज़िम्मा है।
मुनासिब जो नहीं इंसानियत के वास्ते देखो
तुम्हारी शायरी को उन हदों से दूर रहना है।
कवि की कल्पना का
हर पल नया आयाम लिखते हो,
मोहम्मद की कहानी तो कभी तुम राम लिखते हो।
स्याही ना छूये तो खुदा भी अनकहा रह जाएगा,
इसलिए कभी गीता
तो कभी कुरान लिखते हो।
लिखने का इल्म है तो सुबह
तुम नई लिख दो,
पसीने से तपा दिन, शाम लेकिन सुरमई लिख दो।
हवा का एक झोंका नाम कर दो उन परिंदो के
किस्मत में जिनके पल भर का भी आराम नहीं है।
जरा सम्भाल कर कागज पे रखो
टुकड़ा स्याही का,
जज़्बात लिखना इतना भी आसान नहीं है।
तख्त पलट जाते हैं इनके इक इशारे पे,
लब्जो से खेलना बच्चों वाला काम नहीं है।