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सौ साल जैसे जिन्दगी का पल में गुजर गया,
जब वो सलोना चेहरा आँखों में उतर गया।
जुबान खामोश हो गई, मेरी सांसे रुक गई,
कुछ यूँ मिली नज़र कि मेरी नज़र झुक गई,
धडकनों का काफिला पल भर को ठहर गया,
जब वो सलोना चेहरा आँखों में उतर गया।
एक मासूमियत थी चेहरे पर, जो दिल को छू गई,
एक भाषा थी वो ख़ामोशी , जो सब कुछ कह गई,
चुप चाप खड़ी देखती रह गई मैं उसे,
और वो ना जाने कैसे मेरा जीवन बदल गया...
अनुप्रिया...
6 टिप्पणियां:
सुन्दर शब्द रचना, भावमय प्रस्तुति ।
आपने तो बहुत अच्छी कविता लिखी...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में- डाटर्स- डे पर इक ड्राइंग !
सधे हुए शब्दों की सुंदर प्रस्तुति.... बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ....अनुप्रिया
सुंदर प्रस्तुति.
कभी ऐसे ही किसी के कारण जीवन बदल जाती है :)
very nice anupriya ji....
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