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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010



खुद  को भुला दे अगर कोई सूरत,
तो हम उसको क्या नाम दें?
धडकनों से भी ज्यादा हो किसी की जरुरत ,
तो हम उसको क्या नाम दें?

जन्नत से ज्यादा हो जो खुबसूरत,
तो हम उसको क्या नाम दें ?
पल पल पे हो जाए उसी की हुकूमत,
तो हम उसको क्या नाम दे ?

अगर ख्वाब बन  जाये कोई हकीक़त,
तो हम उसको क्या नाम दें ?
हंसी लगने लगे जो किसी की शरारत ,
तो हम उसको क्या नाम दें?

कलियाँ चुराएँ जिसकी मुस्कराहट,
तो हम उसको क्या नाम दें?
सर से पांव  तलक  जो हो कोई कयामत,
तो हम उसको क्या नाम दें?

शायद दुआ मेरी कुछ काम दे दे,
सोचते हैं खुदा को ही पैगाम दे दे,
उसी ने तराशा ये फरिश्तों सा चेहरा,
कि जिसने बनाया वही नाम दे दे .
: ) :) :)
अनुप्रिया...

3 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

संजय भास्‍कर ने कहा…

इस शानदार रचना पर बधाई ....जैसे मैंने पहले भी कहा है आप कुछ उचाईयों को छूती हैं यही मुझे पसंद आता है ....बहुत सुन्दर भाव भर दिए हैं आपने ....और तस्वीर के चयन में आपकी पसंद की दाद देता हूँ |

फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |

Anupriya ने कहा…

sanjay jee aapka bahot bahot dhanyawad...