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गुरुवार, 4 नवंबर 2010

raat ka balidaan...

2 Dec.१९९७, मेरी एक प्यारी दोस्त जिसका नाम रजनी है, ने मुझे इस कविता को लिखने कि प्रेरणा दी थी . वो बड़ी ही कमाल की लड़की हुआ करती थी. बिना किसी शर्त सबकी मदद करना ,हमेशा खुश रहना. उसे इस बात से कभी फर्क नहीं पड़ा कि कोई उसके बारे में क्या कहता है ,या क्या सोचता है. बल्कि मैंने तो ये भी देखा है कि उसने वक़्त पड़ने पर उनकी भी वैसे ही मदद की जिन लोगों ने उसे कभी पसंद नहीं किया.

हम तीन दोस्त हुआ करते थे...मैं , रजनी,  और मोना. तीनों का स्वभाव तो अलग था पर चीजों को देखने का नजरिया एक ही था...रजनी में एक अदा थी...नजाकत थी, खूबसूरती थी, कुल मिला कर एक कविता का inspiration बनने लायक थी वो.एक दिन मैंने उससे पूछा ,यार ! तू इतनी प्यारी और सुन्दर है, तेरे माँ -पापा ने तेरा नाम रजनी(रात) क्यों रख्खा ? उसने मुस्कुराते हुए कहा ...रजनी ही तो दिन की जननी है...कभी सोचा है !रात के बिना दिन का अस्तित्व  ही क्या है ?  मैंने जब सोचा तो ये कविता बन गई...


 और मोना ! जी वो गदा थी :) जी हाँ, बात निकली नहीं कि वहीँ ख़त्म. 
आज पुराने दोस्तों को याद करने की दो वजह है...पहली तो ये कि आज मेरा जन्मदिन है और सुबह - सुबह  हमने फ़ोन पर  ढेरों  बातें की और गुजरे दिनों को याद किया. दूसरी वजह इस कविता का शीर्षक है जो दिवाली की पूर्व संध्या पर दिवाली की खुबसूरत रात को अर्पित करना चाहती हूँ.



जानती थी ,डूब जाएगी वो
सवेरे की पहली किरण जो खिले,
दे के रंगीन सपने फिर भी संसार को
रात बढती रही नई सुबह के लिए.

वो बढती रही बस इसी आस में,
जो सवेरा जगे तो जगेगा जहाँ,
खिलेगी कलि फिर नए रंग की,
नए ढंग से नाच उठेगा समां.

वो बढती रही मृत्यु की तरफ,
संसार को ताकि जीवन मिले,
यथार्थविभूषित हो सके कल्पना,
टूटती साँसों को नव यौवन मिले.

अगर रुक गई वह कहीं स्वार्थ में,
फिर काफिला जिन्दगी का बढेगा नहीं,
ना होगा सवेरा तो इतिहास में
नया पृष्ठ कोई जुड़ेगा नहीं...

 दिवाली   की ढेरों शुभ कामनाओं के साथ :) :):)
अनुप्रिया...

4 टिप्‍पणियां:

amar jeet ने कहा…

अनु जी आपको आपके जन्म दिन के बहुत बहुत शुभकामनाये आज आपका जन्म दिन है और कल दीवाली मेरी एक बहन है जिसका जन्म दिन दीवाली वाले दिन हुआ था जलते दीपो को देखकर मम्मी पापा ने उसका नाम दीपा रखा था !
आपको दीपमाला पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाये ............

amar jeet ने कहा…

बदलते परिवेश मैं,
निरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है,
जूझने के लिए है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामनाये!!
दीप उत्सव की बधाई...................

abhi ने कहा…

हम देर से आये :(

फिर भी आपको बिलेटेड बर्थडे तो बोल ही सकते हैं न..

मेरे भी तीन दोस्तों का तीन ग्रुप रहा है और तीनो तिकड़ी एकदम कमाल की है...:)

कविता अच्छी लगी..

Anupriya ने कहा…

thanku amar jeet jee. abhi jee aapko bhi dhanyawad.