कुछ बात थी तुम्हारी बातों में,
बिन बात भी मुस्कुरा दिए,
तुम आ गए पहलु में जब
तो सारे दीये बुझा दिए.
तुम सामने बैठे थे जब,
आँखे हुई मेरी बेअदब,
टुक-टुक निहारती रही तुम्हे,
पल भर को भी ना झुकी पलक.
और आज बस तुम्हारे जिक्र पर
सुर्ख सी हो गई नज़र,
यूँ लाज से बेहाल थे,
आइना देख कर सर झुका लिए...
अनुप्रिया...
9 टिप्पणियां:
SUNDAR KAVITA .. MAN KO CHHOO GAI
सुंदर प्रस्तुति... चित्र के साथ लखने का अंदाज आपका बहुत ही काबिले तारीफ है....
प्रेम रस पर सुन्दर भाव। शुभकामनायें।
आइना देख कर सर झुका लेना...
मजा आ गया जी :)
सुन्दर कविता....
मैंने अपना पुराना ब्लॉग खो दिया है..
कृपया मेरे नए ब्लॉग को फोलो करें... मेरा नया बसेरा.......
aap sabhi ka bahot bahot dhanyawad...
आपने तो सुन्दर लिखा..बधाई.
'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.
बहुत अच्छी उम्दा रचना ..........
इस बार मेरे ब्लॉग में SMS की दुनिया
सुन्दर भाव--सुन्दर रचना
अच्छा लगा पढ़कर
आभार
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