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शुक्रवार, 15 मार्च 2013















पाँव जैसे धरती,
सूरत अम्बर,
नन्ही  सी बिटिया
आई मेरे घर।

चिड़ियों सी चहके,
फूलों सी महके,
झूले झूला
सपनों पर।
प्यारी सी बिटिया
आई मेरे घर।

चीनी की बोरी  है ,
चंदा चकोरी है ,
मत देखो
लग जाएगी नज़र।
भोली सी बिटिया
आई मेरे घर।

मक्खन की मटकी ,
है रंगों की रंगोली,
रूनकी -झुनकी ,
रोली -पोली,
लगती है परियों सी सुन्दर।
दुलारी सी बिटिया
आई मेरे घर।


अनुप्रिया ...


2 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

hardik shubhkamnayen.bahut sundar shabdon me man ke bhavon ko piroya hai anu ji.

शारदा अरोरा ने कहा…

sundar poem...bitiya ki kilkari ki tarah...