तू इजाजत दे अगर
छोटी सी शरारत कर लूँ...
मैं तेरे दिल तक पहुँचने की
हिमाक़त कर लूँ.
ख्वाब आँखों में
सजा लूँ आसमान वाले,
चाँद पाने की जरा सी
मैं भी हिम्मत कर लूँ...
दस्ताने-इश्क लिख दूँ
आफताब के नूर से,
हीर-राँझा, लैला मजनूं
सी मुहब्बत कर लूँ...
रंग होठों से चुरा लूँ,
रौशनी रुखसार से,
अपनी कोरी जिन्दगी को
क्यों ना जन्नत कर लूँ.
क्या ठिकाना साँसों का
कल जिंदगानी हो ना हो...
मिट्टी में मिल जाऊं मैं,
धड़कन में रवानी हो ना हो...
छोड़ ना कल पे मुझे ,
कल ये दीवानी हो ना हो...
आज ,बस इस एक पल में
सदियों की चाहत कर लूँ...
तुझमें खो कर तुझको
प़ा जाने की हसरत कर लूँ...
अनुप्रिया...
24 टिप्पणियां:
अनु जी
नमस्कार !
आप के ब्लॉग पे पहली बार आना हुआ है , और आना सार्थक लगा , सुंदर अभिव्यक्ति , सुंदर भाव ,
बधाई , साधुवाद !
सादर
अनुप्रिया जी जीवन का फलसफा ऐसा ही है, जब कहो तो कहने नहीं देंगे, चुप रहो तो रहने नहीं देंगे इसलिए दिल से कहो, बेहतरीन कहा..समझा...
दस्ताने-इश्क लिख दूँ
आफताब के नूर से,
हीर-राँझा, लैला मजनूं
सी मुहब्बत कर लूँ...
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आज ,बस इस एक पल में
सदियों की चाहत कर लूँ...
तुझमें खो कर तुझको
प़ा जाने की हसरत कर लूँ...
अनुप्रिया जी
आपकी कविता शुरू में तो रोमानी लगती है लेकिन अंत तक कविता अपने मूल मंतव्य की अग्रसर होते हुए एक आध्यात्मिक अर्थ की सृष्टि करती है ...कविता का भाव और शिल्प दोनों पक्ष सशक्त हैं ...आपका आभार इतनी अच्छी साहित्यक प्रस्तुति के लिए ..
बहुत ही अच्छा लगा
बढ़िया कविता !
'तुझमे खोकर तुझको
पा जाने की हसरत कर लूं '
कोमल भावों से सजी सुन्दर रचना
तू इजाजत दे अगर ???,
आज तक इजाजत ही तो नहीं मिली :)
बहुत अच्छी लगी मुझे आपकी यह कविता|
बड़ी प्यारी सी हसरत है ॥
'क्या ठिकाना साँसों का
कल जिंदगानी हो ना हो...
मिट्टी में मिल जाऊं मैं,
धड़कन में रवानी हो ना हो...'
को आप
'क्या ठिकाना साँसों का
कल जिंदगानी हो ना हो...
मिट्टी में मिल जाऊं मैं,
धड़कन में रवानी कर लूं ..' भी लिख सकती हैं कविता की रवानगी भी गीत जैसी हो जायेगी ..
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
बहुत भावपूर्ण..मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
prya anu ji ,
namskar
charcha manch men aapka srijan dekha
sundar shilp ,man mugdh ho gaya .aise hi likhate rahiye . shukriya .
snehil bhawon men doobi hui manmohak kavita.
आज ,बस इस एक पल में
सदियों की चाहत कर लूँ...
तुझमें खो कर तुझको
प़ा जाने की हसरत कर लूँ...
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
आज ,बस इस एक पल में
सदियों की चाहत कर लूँ...
तुझमें खो कर तुझको
प़ा जाने की हसरत कर लूँ...
यही हसरत तो होती है जो रोज बढती जाती है…………बेहद रूमानी रचना दिल को छू गयी।
अरे जब इतना सोच ही लिया तो कर ही लीजिए हिमाकत :):)
खूबसूरत रचना
बहुत खूब .. प्यार भरे दिल की दास्तान लिख दी है आपने ... लाजवाब रचना है ...
आज ,बस इस एक पल में
सदियों की चाहत कर लूँ...
तुझमें खो कर तुझको
प़ा जाने की हसरत कर लूँ..
Anupriya ji , bahut hi gahre ehsason se bhari kavita.......sunder prastuti
लाजवाब, सुन्दर लेखनी को आभार...
खुबसूरत भावों को प्रदर्शित करती रचना !
anu ji sunder rachna aur sacche prem ko paribhasit kerne kliye badhai
प्रेम की अनुभूति.. पर लिखा बहुत खूब... अब हिमाकत की जरूरत ....
shukriya nutan jee, aur yakeen maniye! himakat bhi ki aur us waqt to ijajat bhi nahi li :)
अनु जी
नमस्कार !
......सुंदर अभिव्यक्ति
कोमल भावों से सजी सुन्दर रचना
वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |
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