“Life is full of beauty. Notice it. Notice the bumble bee, the small child, and the smiling faces. Smell the rain, and feel the wind. Live your life to the fullest potential, and fight for your dreams.”
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शनिवार, 28 अगस्त 2010
जिंदगी नाम है सवालों का
जिसका जवाब भी खुद जिन्दगी है।
हकीकत अगर है ये जिंदगी,
ख्वाब भी खुद जिंदगी है।
जिल्लत भी है ये जिंदगी ,
खिताब भी खुद जिंदगी है।
हर हिसाब है इस जिन्दगी के पास,
बेहिसाब भी ये जिन्दगी है।
बदसूरत अगर है ये जिन्दगी,
शबाब भी खुद जिन्दगी है।
बेपर्दा सी इस जिन्दगी का
नकाब भी खुद जिन्दगी है।
अनकही इस जिन्दगी की ,
आवाज़ भी खुद जिन्दगी है।
तीखी कडवी जिन्दगी में,
मिठास भी खुद जिन्दगी है।
खामोश भी है ये जिन्दगी,
अल्फाज भी खुद जिन्दगी है।
जिन्दगी की कोई कहानी नहीं,
पर किताब भी खुद जिन्दगी है।
अनुप्रिया ...
Me, Anupriya, M.sc. with Botany and M.BA. with H.R.working as lecturer and love to write and read hindi poems...
गुरुवार, 26 अगस्त 2010
जिन्दगी अपनी कब खुद के लिए जिया करते है,
हम तो बस रिश्तो का हक अदा करते है।
सुबह उठ्ठे तो छोटा सा लगा घर अपना,
इस लिए आज कल आपकी आँखों में रहा करते है।
देखिये बुत भी खुद को खुदा समझ बैठा
आप दिन रात क्यों सजदे में झुका करते है।
यहाँ हर आँख भींगी, हर लब पे एक फसाना है,
आप क्यों खुद को लोगो से जुदा समझते है।
उनके चेहरे को देखा तो फिर नज़र न हटी,
हाय ! हम मान गए , हम भी खता करते है।
अनुप्रिया ...
Me, Anupriya, M.sc. with Botany and M.BA. with H.R.working as lecturer and love to write and read hindi poems...
खुदा भी हंस पड़ा मेरे मोहब्बत के फ़साने पे,
हवा भी आज कानों में मेरी खिल्ली उड़ा गई।
दिन रात जागे हाय जिनके इन्तजार में
वो आये सामने जैसे ही हमको नींद आ गई।
कहानी ख़त्म हो जाती यहीं पर तो भी अच्छा था,
बताते शर्म आती है हमारा हाल ऐसा था,
वो कानो में सुनाते रह गए किस्सा मोहबत का,
हमारी आँख न खुली ,खुमारी ऐसी छा गई।
जुदाई कितनी भारी थी, कैसा बेदर्द आलम था,
तुम्हारे बिन तो हर मौसम यहाँ पतझर का मौसम था,
उन्हें हर दर्द अपना और हर आंसू दिखाना था,
आया होश भी कब , जब उन्हें वापस को जाना था।
फसाने दिल में रह गए, लबों पे आह आ गई ,
गए तुम क्या .तुम्हारे साथ मेरी हर अदा गई...
अनुप्रिया ...
Me, Anupriya, M.sc. with Botany and M.BA. with H.R.working as lecturer and love to write and read hindi poems...
ऐ दोस्त मेरे इस दुनिया में
हर चीज़ की कीमत होती है ।
हर ख़ुशी की कीमत होती है
हर गम की कीमत होती है।
कुछ मुफ्त नहीं मिलता है यहाँ
जो मिला चुकाना पड़ता है
जब वक़्त मांगता है हिसाब
तब सर को झुकाना पड़ता है।
जो कुछ भी दिया हमने सबको
हो हर्ष ,प्रेम , विषाद , या ,छल ,
दुगना, तिगुना, चौगुना हो कर
बस वही मिलेगा हमको कल।
जो चाहे कोई छुप जाये कही
इनकार भी कर दे देने से
पर धुंध के करता है हिसाब
ये वक़्त जो आये लेने पे।
हो राजा या हो रंक
समय की एक सी फितरत होती है,
हर कोई सजदा करता है
जिस रोज़ क़यामत होती है।
अनुप्रिया ....
Me, Anupriya, M.sc. with Botany and M.BA. with H.R.working as lecturer and love to write and read hindi poems...
मंगलवार, 24 अगस्त 2010
जिन्दगी को जिन्दगी बने रहने दो,
ये जरुरी नहीं ,हर रिश्ते को कोई नाम दो।
जीवन की राह पर चलते चलते
दिल के दरवाजे पे दस्तख सा ये दे जाते है
तुम न मानो मगर कुछ रिश्ते
बेमतलब , बेमायने भी बन जाते है।
तितली के पंखो पर रंगों की तरह
जिन्दगी की सतह पर फैलते रिश्ते,
सुबह की पहली किरण को छू कर जैसे
ओस की बूंद से आखों में पिघलते रिश्ते।
आसमान की बाहों में बादलो की तरह
एक दुसरे से टकराते रिश्ते,
मन के किसी कोने में आयत की तरह
याद रह जाते है ये जाते जाते रिश्ते।
गुड की चासनी से ,शहद से मीठे रिश्ते
हमेशा होठो पे हंसी लायेंगे
नाम जो दे दोगे इनको कोई,
नीम के पत्तो से कडवे ये हो जायेंगे।
अच्छा तो यही है की इन्हें शब्दों में ना बांधो ,
फूलो से आती खुशबु की तरह,
कायनात में फैले जादू की तरह,
किसी बच्चे की आखों में तैरते आरजू की तरह,
ये भी आज़ाद है ,इन्हें खुल के सांस लेने दो।
जिन्दगी को जिन्दगी बने रहने दो,
ये जरुरी नहीं हर रिश्ते को कोई नाम दो।
अनुप्रिया...
Me, Anupriya, M.sc. with Botany and M.BA. with H.R.working as lecturer and love to write and read hindi poems...
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