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मंगलवार, 24 अगस्त 2010



जिन्दगी को जिन्दगी बने रहने दो,
ये जरुरी नहीं ,हर रिश्ते को कोई नाम दो।


जीवन की राह पर चलते चलते
दिल के दरवाजे पे दस्तख सा ये दे जाते है
तुम न मानो मगर कुछ रिश्ते
बेमतलब , बेमायने भी बन जाते है।


तितली के पंखो पर रंगों की तरह
जिन्दगी की सतह पर फैलते रिश्ते,
सुबह की पहली किरण को छू कर जैसे
ओस की बूंद से आखों में पिघलते रिश्ते।


आसमान की बाहों में बादलो की तरह
एक दुसरे से टकराते रिश्ते,
मन के किसी कोने में आयत की तरह
याद रह जाते है ये जाते जाते रिश्ते।


गुड की चासनी से ,शहद से मीठे रिश्ते
हमेशा होठो पे हंसी लायेंगे
नाम जो दे दोगे इनको कोई,
नीम के पत्तो से कडवे ये हो जायेंगे।


अच्छा तो यही है की इन्हें शब्दों में ना बांधो ,
फूलो से आती खुशबु की तरह,
कायनात में फैले जादू की तरह,
किसी बच्चे की आखों में तैरते आरजू की तरह,
ये भी आज़ाद है ,इन्हें खुल के सांस लेने दो।

जिन्दगी को जिन्दगी बने रहने दो,
ये जरुरी नहीं हर रिश्ते को कोई नाम दो।

अनुप्रिया...

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