मुस्कुराना बड़ी बात है.
जिन्दगी की उधेड़बुन से
कौन बच पाया यहाँ...
दर्द चाहे जितना बड़ा हो
हंस के झेल जाना बड़ी बात है...
जीवन के इस अनोखे सफ़र में
साथ किसका उम्र भर का,
आधे रस्ते चलते चलते
हाथ छुटा हमसफ़र का,
क्या शिकायत वो अगर
साथ चल पाया नहीं,
दो चार कदम ही सही
साथ निभाना बड़ी बात है...
है अनिश्चित जितना जीवन,
उतनी ही निश्चित मृत्यु है,
ऐ मेरे मन "उनके" जाने से
भला विचलित क्यों तू है?
छोटी सही इस जिन्दगी को ,
जी जाना बड़ी बात है.
अनुप्रिया...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें